हमर
आँखि मे अछि, नोर भरि गामक
(गजल)
हमर आँखि मे अछि, नोर भरि गामक ।
हमर आँखि मे अछि, नोर भरि गामक ।
हमर
आँखि मे कतेक रौदी आ दाही,
हमर
आँखि मे अछि, चोर भरि गामक ।
हमर
आँखि मे, हमर पाग आ मुरेठा,
हमर
आँखि मे अछि, जोर भरि गामक ।
हमर
आँखि मे अछि, बेगरताक अन्हड़,
हमर
आँखि मे अछि, सोर भरि गामक ।
हमर
आँखि मे अछि, गाँधी बाबाक गाछी,
हमर
आँखि मे अछि, मोर भरि गामक ।
“मिथिला दर्शन” , सितम्बर – अक्टूबर २०११, वर्ष
५९, अंक ५, पृष्ठ ३९ पर प्रकाशित ।
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